यात्रा संस्मरण केदारनाथ यात्रा का कष्टप्रद आनंद -हरिशंकर राढ़ी Hari Shanker Rarhi at Kedarnath Temple बहुप्रतीक्षित, प्रतिष्ठित और रोमांचित करने वाली केदारनाथ धाम की यात्रा करके कल लौट आया। पहले केदारनाथ की, फिर बद्रीनाथ की। धार्मिक दृष्टि से देखूँ तो इस यात्रा के साथ मेरी चार धाम (द्वारका पुरी, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम् और बद्रीनाथ धाम) तथा द्वादश ज्योतिर्लिंगों की यात्रा संपन्न हो गई। हालाँकि, ये यात्राएँ मेरे लिए धार्मिक-आध्यात्मिक कम, भारत भ्रमण या पर्यटन अधिक थीं। केवल धार्मिक आस्था की बात होती तो संभवतः मैं नहीं जाता। हाँ, इसमें संदेह नहीं कि इस व्यवस्था के पीछे व्यवस्थाकारों ने बहुत सोचा होगा, तब जाकर ये स्थल तीर्थयात्रा के लिए निर्धारित किए गए होंगे। जहाँ चारो धाम देश के चार कोनों का, वहीं द्वादश ज्योतिर्लिंग देश के बाहरी से लेकर आंतरिक हिस्सों तक का पूरा भ्रमण करा देते हैं। आज पर्यटन की दृष्टि से यात्राएँ विस्तार पा रही हैं, किंतु इसमें संदेह नहीं कि धर्म के बहाने यात्रा करने वालों की संख्या आज भी बहुत बड़ी है। केदारनाथ और बद्रीनाथ की मेरी यात्रा बहुप्रतीक्षित थी, जो ...
रामेश्वरम में
हरिशंकर राढ़ी दोपहर बाद का समय हमने घूमने के लिए सुरक्षित रखा था और समयानुसार ऑटोरिक्शा से भ्रमण शुरू भी कर दिया। पिछले वृत्तांत में गंधमादन तक का वर्णन मैंने कर भी दिया था। गंधमादन के बाद रामेश्वरम द्वीप पर जो कुछ खास दर्शनीय है उसमें लक्ष्मण तीर्थ और सीताकुंड प्रमुख हैं। सौन्दर्य या भव्यता की दृष्टि से इसमें कुछ खास नहीं है। इनका पौराणिक महत्त्व अवश्य है । कहा जाता है कि रावण का वध करने के पश्चात् जब श्रीराम अयोध्या वापस लौट रहे थे तो उन्होंने सीता जी को रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए, सेतु को दिखाने के लिए और अपने आराध्य भगवान शिव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए पुष्पक विमान को इस द्वीप पर उतारा था और भगवान शिव की पूजा की थी। यहाँ पर श्रीराम,सीताजी और लक्ष्मणजी ने पूजा के लिए विशेष कुंड बनाए और उसके जल से अभिषेक किया । इन्हीं कुंडों का नाम रामतीर्थ, सीताकुंड और लक्ष्मण तीर्थ है । हाँ, यहाँ सफाई और व्यवस्था नहीं मिलती और यह देखकर दुख अवश्य होता है। स्थानीय दर्शनों में हनुमा...