कुल्हड़ की चाय 

राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (National Book TrustNBT) से ललित निबंध संग्रह प्रकाशित 

कुल्हड़ की चाय (ललित निबंध ) का मुखपृष्ठ
Kulhad ki Chai by Harishanker Rarhi 

राष्ट्रीय पुस्तक न्यासभारत से मेरे (हरिशंकर राढ़ी) पहले ललित निबंध संग्रह कुल्हड़ की चाय की लेखकीय प्रतियाँ मिलीं। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास से प्रकाशित होना मेरे लिए प्रसन्नता एवं उपलब्धि का विषय है। ललित निबंध लेखन में मैं बहुत देर से आयाकिंतु मंथर गति से चलने के बावजूद पहला निबंध संग्रह एक प्रतिष्ठित संस्थान से आना सुखद है। ललित निबंध के वरिष्ठ एवं प्रतिमान हस्ताक्षर श्री श्याम सुंदर दुबे जी से इस प्रसंग पर बात हो रही थी तो उन्होंने कहा कि ललित निबंध ऐसी विधा है जो परिपक्व आयु में ही ठीक से लिखी जा सकती है। बड़े लोग कितनी सारगर्भित बातें बोलते हैं! वैसे भी इस विधा में हजारी प्रसाद द्विवेदीविवेकी राय और श्याम सुंदर  दुबे का कोई शानी नहीं है विलुप्त होती इस साहित्यिक विधा में बहुत रस है।

ललित निबंध विधा में कुल्हड़ की चाय’ मेरी (हरिशंकर राढ़ी की) पहली प्रकाशित पुस्तक हैव्यंग्य संग्रहयात्रा संस्मरण एवं संपादित-अनूदित पुस्तकों को मिला दिया जाए तो यह नौवीं पुस्तक है। आज राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के हिंदी संपादक श्री दीपक कुमार गुप्त जी से लेखकीय प्रतियाँ प्राप्त करते हुए बहुत सुखद अनुभूति हुई। लगभग 130 पृष्ठों की इस पुस्तक का मूल्य 180/ है।संभव हो तो पढ़ेंअच्छी जरूर लगेगी।

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